Hindi kavita2
" मन"
मन बड़ा ही चंचल है,
फिर भी सुंदर, निर्मल है।
जिसने किया मन को वश में,
वही रहा श्रेष्ठ इस जग में।
मन की गति का कोई मेल नहीं,
इसे समझ लेना आसान कोई खेल नहीं।
मन, मन में, मन की बात बताया,
जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा पाया।
मन को दोषी बताने वाले,
एक नहीं दस है ऐसी वाणी वाले।
जिसने मन को, मन में ठान लिया,
संसार ने उसी को सफल मान लिया।
प्रियंका चौरसिया
मन बड़ा ही चंचल है,
फिर भी सुंदर, निर्मल है।
जिसने किया मन को वश में,
वही रहा श्रेष्ठ इस जग में।
मन की गति का कोई मेल नहीं,
इसे समझ लेना आसान कोई खेल नहीं।
मन, मन में, मन की बात बताया,
जितना सोचा था उससे कहीं ज्यादा पाया।
मन को दोषी बताने वाले,
एक नहीं दस है ऐसी वाणी वाले।
जिसने मन को, मन में ठान लिया,
संसार ने उसी को सफल मान लिया।
प्रियंका चौरसिया
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Priyanka Piku Hindi Articles